निमाड़ी भाषाविद् मणिमोहन चवरे द्वारा लिखित पुस्तकों के संग्रह का अवलोकन करें

मणिमोहन चवरे 'निमाड़ी' ____________________________________________________________________________________________________

‘निमाड़ी का भाषा-विज्ञान वर्ण और वर्तनी’ (2014)

‘निमाड़ी लोकभाषा के मर्मज्ञ साहित्यकार, मणिमोहन चवरे द्वारा लिखित, निमाड़ी भाषा में मील का पत्थर, ‘निमाड़ी का भाषा विज्ञान वर्ण और वर्तनी’ ग्रंथ, न केवल निमाड़ी का प्रथम मानक ग्रंथ है अपितु यह देश की 570 बोलियों /भाषाओं में, निमाड़ी की दशा और दिशा को निर्धारित करता एक बेजोड़ दस्तावेज भी है।’

(डॉ पद्माकर धनंजय सराफ)

निमाड़ी लोकभाषा उद्भव विकास स्वरुप और साहित्य (2025)

यह निमाड़ी भाषा का एक स्वनाम-व्याख्यात्मक ग्रंथ है। इसमें भाषा के विभिन्न पहलुओं पर भाषा-वैज्ञानिक विवरण के साथ ही साहित्य लेखन में उसके विवेकपूर्ण प्रयोग के गुर भी हैं; निमाड़ी भाषा मर्मज्ञ, मणिमोहन चवरे की यह कृति,निमाड़ी भाषा की एक अमूल्य साहित्यिक धरोहर है।

(डॉ प्रभाकर शर्मा)

लोक मैत्रेय (2022)

तृतीय प्राकृत की विभिन्न शाखाओं से विकसित उत्तर-भारत की दस लोक-भाषाओं (छत्तीसगढ़ी, निमाड़ी, पचेली, बघेली बुंदेली, ब्रजभाषा, भोजपुरी, मगही, मालवी तथा राजस्थानी) की जानकारी सहित, 76 लेखकों की 128 प्रतिनिधि रचनाओं का यादगार संकलन है - ‘लोक-मैत्रेय’।

(संपादक : मणिमोहन चवरे)

आपड़ी की थापड़ी (2000)

‘आपड़ी की थापड़ी’ में मणिमोहन चवरे के शिल्प-भाषा और कथन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे समसामयिक स्थितियों पर व्यंग्य की अंतर्धारा को आधार बनाकर लोकगीतों की धुन में जो चोट करते हैं वह कबीर की तरह तिलमिला देने वाली होती है।

( डॉ सतीश दुबे )

म्हारो देस निमाड़ (1970)

1. ‘म्हारो देस निमाड़’, निमाड़ के जनपदीय साहित्य का, ‘प्रथम कविता संग्रह’ है। प्रयास अनुकरणीय है। - ( बलराम पगारे ) 

2. भाई मणिमोहन ने जो कुछ भी लिखा है, निमाड़ के जन जीवन में आत्मसात होकर लिखा है, इसी से इनकी रचनाओं में यहाँ की माटी की सुगंध, प्रकृति का सुंदर चित्रण एवं जीवन तथा संस्कृति का सजीव संस्पर्श अंकित है।  

( पद्मश्री पं रामनारायण उपाध्याय )

क्रांतिवीर भास्करराव चवरे (2011)

वे खून से हस्ताक्षर करते थे। भूमिगत लैब में विस्फोटक बम बनाते थे । तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर देनेवाले, ‘हिन्दुस्तानी लाल सेना’ में गुप्तचर विभागाध्यक्ष, भास्करराव चवरे, को एक ही जीवन- काल में दो बार आजीवन कारावास (२८ वर्ष) की कठोर सजा हुई थी।(मणिमोहन चवरे की कलम से, आजादी के संघर्ष में, अमानुषिक यातनाएँ भोगनेवाले एक गुमनाम क्रांतिकारी की सच्ची कहानियाँ।)

‘स्मृति बिंब – विवेचना खंड’ (2013)

बहुमुखी प्रतिभा संपन्न दादा शिवकुमार चवरे (1908-1993) के, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित, ‘स्मृति-बिंब’ (2013) के विवेचना खंड में, स्मारिका के संपादक मणिमोहन चवरे ने दादा के, तीन निमाड़ी नाटिकाओं सहित, 30 यादगार हिंदी नाटकों की सारगर्भित विवेचना प्रस्तुत की है। इसी स्मारिका का महत्वपूर्ण खंड है, ‘स्मृति-बिंब – व्याख्या-खंड’।